संगयहूद ( हजरुलयहूद) पिष्टी
इसको बेर पत्थर भी कहते है , यह बेर के सदृश एक - सवा इंच लम्बा ओर गोलाकर खाकी रंग का पत्थर होता है
संगयहूद को आग मे तपा तपा कर ७ बार कुलथी के क्वाथ में बुझाने से शुद्ध हो जाता है
बेर पत्थर को गरम जल से धोकर कपड़े से पोंछ , सुखा , कपडछान चूरन करके खरल मे डालकर अर्क गुलाब या चन्दनादि अर्क मे तीन दिन तक मर्दन करे, छाया मे सुखाकर शीशी मे भर लें, केले के स्तम्ब के स्वरस या मूली के स्वरस की सात भावना देकर भी पिष्टी बना सकते है
दो रत्ती से चार रत्ती की मात्रा नारियल पानी से या अशमरी नाशक दवा के साथ दें
यह पिष्टी मूत्रल , पित्तशामक, वमनहर, अशमरी शूल हर, अशमरी को तोडकर मूत्रमार्ग से निकाल देती है
इसको बेर पत्थर भी कहते है , यह बेर के सदृश एक - सवा इंच लम्बा ओर गोलाकर खाकी रंग का पत्थर होता है
संगयहूद को आग मे तपा तपा कर ७ बार कुलथी के क्वाथ में बुझाने से शुद्ध हो जाता है
बेर पत्थर को गरम जल से धोकर कपड़े से पोंछ , सुखा , कपडछान चूरन करके खरल मे डालकर अर्क गुलाब या चन्दनादि अर्क मे तीन दिन तक मर्दन करे, छाया मे सुखाकर शीशी मे भर लें, केले के स्तम्ब के स्वरस या मूली के स्वरस की सात भावना देकर भी पिष्टी बना सकते है
दो रत्ती से चार रत्ती की मात्रा नारियल पानी से या अशमरी नाशक दवा के साथ दें
यह पिष्टी मूत्रल , पित्तशामक, वमनहर, अशमरी शूल हर, अशमरी को तोडकर मूत्रमार्ग से निकाल देती है
डां . ए. एस. चीमां
पंजाब
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